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अनिल सहनी से भेदभाव क्यों....? सजायाफ़्ता के परिजनों पर तो RJD को भरोसा है, 'शहाबुद्धीन- राजबल्लभ- इलियास- अनंत' हैं उदाहरण

अनिल सहनी से भेदभाव क्यों....? सजायाफ़्ता के परिजनों पर तो RJD को भरोसा है, 'शहाबुद्धीन- राजबल्लभ- इलियास- अनंत' हैं उदाहरण

PATNA: बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं. राजद के सीटिंग विधायक अनिल सहनी को कोर्ट ने सजा दे दी, लिहाजा इनकी सदस्यता चली गई. अब इस सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं. उप चुनाव में सजायाफ्ता अनिल सहनी के परिवार से उनकी पार्टी राजद और महागठबंधन ने दूरी बना ली। बिहार के राजनीतिक दलों में आम चलन है कि अगर सीटिंग विधायक-सांसद की मृत्यु हो जाये या फिर सदस्यता खत्म हो जाए तो उनके परिवार के लोगों को उस सीट से उम्मीदवार बनाया जाता है। अमूमन सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ये काम करते हैं. पिछले कई उप चुनावों का ट्रेंड यही कहता है। हाल ही में मोकामा और गोपालगंज सीट पर हुए उप चुनाव में यही फार्मूला अपनाई गई है। राजद और बीजेपी दोनों ने खाली सीट पर उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया और दोनों जीते भी. लेकिन कुढ़नी सीट से राजद ने विधायकी गंवाने वाले अनिल सहनी के परिवार से तौबा कर लिया। उल्टे वह सीट अपने सहयोगी दल जेडीयू को दे दी। हाल तक इस सीट पर विधायक रहे अनिल सहनी राजनीति में पैदल हो गए हैं. बड़ा सवाल यही है कि आखिर अनिल सहनी के साथ ही यह क्यों.....

सजायाफ्ता क परिजनों पर राजद को भरोसा...अनिल सहनी के परिवार पर अविश्वास

बिहार की सत्ताधारी राजद सजायाफ्ता परिवार पर भरोसा करते आई है। अनेकों ऐसे उदाहरण हैं जहां लालू-तेजस्वी ने सजायाफ्ता परिवार पर भरोसा जताया है। इस कतार में रेप केस में सजायाफ्ता शहाबुद्दीन,राजवल्लभ यादव, घोटाले में सजायाफ्ता इलियास हुसैन, ए.के. 47 केस में सजायाफ्ता अनंत सिंह हैं. इन सभी विधायकों की सदस्यता खत्म होने के बाद राजद ने पत्नी या बेटे को उम्मीदवार बनाया। सिवान के तेजाब कांड में मो. शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। इसके बाद लालू प्रसाद ने पत्नी हीना शहाब को सिवान से लोकसभा का टिकट दिया। ब्लात्कार केस में कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा पाए विधायक राजबल्लभ यादव की विधायकी चली गई। इसके बाद पत्नी विभा देवी को राजद ने टिकट दिया। 2020 के चुनाव में सजायाफ्ता राजवल्लभ यादव की पत्नी चुनाव जीत भी गईं. आज विभा देवी नवादा से विधायक हैं. लालू प्रसाद के बेहद करीबी इलिहास हुसैन अलकतरा घोटाले में सजायाफ्ता हो गए। कोर्ट ने पांच साल की सजा के साथ ही 20 लाख का जुर्माना भी लगाया था. लिहाजा इनकी विधायकी चली गई। इलियास हुसैन की सदस्यता जाने के बाद राजद ने 2019 के उप चुनाव में डिहरी सीट से उनके बेटे मोहम्मद फिरोज को उम्मीदवार बनाया। 2019 में यहां पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे मोहम्मद फिरोज हुसैन को मात मिली और ये सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई. 2022 में मोकामा सीट से राजद के विधायक अनंत सिंह एक-47 केस में सजायाफ्ता हो गए,लिहाजा इनकी विधायकी चली गई। उप चुनाव में राजद ने इनकी पत्नी नीलम देवी को उम्मीदवार बनाया। नीलम देवी राजद के टिकट पर चुनाव जीत गईं. 


निधन के बाद होने वाले उप चुनाव में बीजेपी-जेडीयू भी बेटे-पत्नी को देती है कैंडिडेट 

सीटिंग विधाययकों-सांसदों के निधन के बाद राजनीतिक दल उनके परिवार के सदस्यों को उप चुनाव में टिकट देते आये हैं. हाल ही में बीजेपी ने गोपालगंज सीट से विधायक रहे सुबाष सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी कुसिम देवी को उम्मीदवार बनाया। सुबाष सिंह की पत्नी चुनाव जीत गईं. कुशेश्वरस्थान में जेडीयू विधायक रहे शशिभूषण हजारी के निधन के बाद 2021 में हुए उप चुनाव में उनके बेटे अमन हजारी को जेडीयू नेतृत्व ने टिकट दिया।  उन्होंने JDU के टिकट पर ही 12 हजार 698 वोटों से जीत दर्ज की. तारापुर में जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के बाद 2021 में उप चुनाव हुए। मेवालाल के निधन के बाद जेडीयू नेतृत्व ने विदेश में रहने वाले इनके बेटे को टिकट देने की पूरी कोशिश की. लेकिन मेवालाल चौधरी के बेटे राजनीति में आने से साफ मना कर दिया। थक हारकर नीतीश कुमार ने राजीव कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया। जदयू के उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह ने राजद के उम्मीदवार अरुण कुमार साह को 3821 मतों से हरा दिया।  

पूर्व विधायक अनिल सहनी सीएम नीतीश पर गरम 

हाल ही में कुढ़नी के वर्तमान से पूर्व विधायक बने अनिल सहनी ने बगावत कर दिया है। सदस्यता जाने के बाद उन्हें भरोसा था कि पुराना फार्मूला लागू होगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यानी उनकी पत्नी को राजद ने टिकट नहीं दिया। तेजस्वी ने इस बार यह सीट अपने सहयोगी जेडीयू को दे दिया। यानि यह मैसेज देने की कोशिश की अब कुढ़नी सीट पार्टी के खाते में है नहीं तो अनिल सहनी के परिवार के किसी सदस्य को टिकट कहां से देंगे। जेडीयू ने जब मनोज कुशवाहा को कुढ़नी के मैदान में उतारा तो पूर्व विधायक अनिल सहनी फट पड़े हैं. उन्होंने अपरोक्ष तौर पर तेजस्वी यादव को भी कटघरे में खड़ा किया है। वहीं सीएम नीतीश पर गंभीर आरोप लगाये हैं.  उन्होंने कहा कि कुढ़नी की यह सीट आरजेडी और अतिपिछड़ा की सीट थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन पर दबाव बनाकर यह सीट अपने पास रख ली। नीतीश कुमार कहते हैं कि वो अतिपिछड़ा समाज के हितैषी हैं लेकिन एक सहनी समाज का टिकट काटकर वो कैसे हमलोगों के हितैषी हो सकते हैं। अनिल सहनी ने आगे कहा कि मेरा टिकट कटने के बाद भारी संख्या में समर्थकों के लगातार फोन आ रहे हैं। यह सीट अति पिछड़ों की है। बड़ी संख्या में मेरे समर्थक हैं, जो यह चाहते थे कि मेरी जगह किसी पिछड़े को ही टिकट मिले। वह मुझसे पूछ रहे हैं कि आखिर राजद की सीट जदयू को क्यों दे दी गई। मैं जल्द ही दिल्ली से कुढ़नी जाकर अपने समर्थकों से बात करूंगा, तभी कोई फैसला लूंगा।

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