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शिक्षा बजट को लेकर मोदी सरकार पर जमकर बरसे सुधाकर सिंह, कहा - 2013-14 में शिक्षा पर जीडीपी का 4.77 परसेंट होते थे खर्त , अब सिर्फ 2.05 परसेंट

शिक्षा बजट को लेकर मोदी सरकार पर जमकर बरसे सुधाकर सिंह, कहा - 2013-14 में शिक्षा पर जीडीपी का 4.77 परसेंट होते थे खर्त , अब सिर्फ 2.05 परसेंट

NEW DELHI : शिक्षा बजट में बजट का आवंटन को लेकर बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने संसद में केंद्र सरकार पर पिछले दस साल में शिक्षा बजट पर लगातार अनदेखी करने का आरोप लगाया है। सुधाकर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर गंभीर नहीं है। यही कारण है कि बजट में शिक्षा में बेहतरी के लिए प्रर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं कराई गई है।

सुधाकर सिंह ने इस दौरान शिक्षा बजट के पैसों के आवंटन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आज यूजीसी मानकों पर आधारित विवि पर शिक्षा बजट का मात्र 10 परसेंट खर्च किया जा रहा है, जबकि यहां देश के 90 परसेंट छात्र पढ़ाई करते हैं. इसके विपरीत केंद्रीय विवि पर आवंटित  बजट का 90 परसेंट खर्च किया जा रहा है। जबकि यहां देश के सिर्फ 10 परसेंट बच्चे पढ़ते हैं। यह स्थिति बेहद दुखद है।

बक्सर सांसद ने बताया कि इस साल शिक्षा विभाग को  1.20 लाख करोड़ दिए गए हैं। लेकिन यह राशि अपर्याप्त है। उन्होंने 2013-14 का जिक्र करते हुए बताया कि उस समय भारत ने अपनी जीडीपी का 4.77 परसेंट शिक्षा पर खर्च कर रहा था और यह छप परसेंट की सिफारिशी खर्च की ओर आगे बढ़ रहा था। 

लेकिन 2014 के बाद देश में बनी नई सरकार में यह बजट लगातार घट रहा है। आज यह घटकर 2.05 परसेंट रह गया है. जिसमें शिक्षा उपकर भी शामिल है, जो लगभग 65 हजार करोड़ है। यदि इसे आवंटित राशि से हटा दें तो सिर्फ 55 हजार करोड़ बचता है। जो कि अन्य देशों की तुलना में कुछ भी नहीं है।

सुधाकर सिंह ने कहा कि जीडीपी का सिर्फ 2.5 परसेंट शिक्षा पर खर्च करने के बाद भारत विश्वगुरू कैसे बनेगा, इस पर संदेह है। 

यूजीसी के बजट का किया जिक्र

सुधाकर ने इस दौरान यूजीसी अनुदान आयोग के बजट का जिक्र करते हुए बताया कि 2023-24 में 6409 करोड़ दिया गया। जो 2024-25 में 25 सौ करोड़ कर दिया गया। जो स्पष्ट करता है कि सार्वजनिक संस्थानों को कमजोर करने के लिए काम किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति का लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि उच्च शिक्षा के लिए गरीब छात्रों को लगातार ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अनसंधान के क्षेत्र में सिर्फ .07 परसेंट खर्च किया जा रहा है। जबकि चीन और अमेरिका जैसे देश में 2 से तीन परसेंट राशि खर्च की  जा रही है।

बक्सर में विश्वामित्र केंद्रीय विवि

सुधाकर सिंह ने अपने संबोधन में नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय की तर्ज पर बक्सर में विश्वामित्र केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बक्सर ज्ञान की स्थली रही है। यहां श्रीराम को विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त हुआ था। 

 


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