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“अवसर ट्रस्ट” के सफल छात्रों का राज्यपाल ने किया सम्मान, कहा - प्रतिभा किसी जाति विशेष की बपौती नहीं, आरके सिन्हा के प्रयासों की जमकर की तारीफ

“अवसर ट्रस्ट” के सफल छात्रों का राज्यपाल ने किया सम्मान, कहा - प्रतिभा किसी जाति विशेष की बपौती नहीं, आरके सिन्हा के प्रयासों की जमकर की तारीफ

PATNA : देश की सबसे कम उम्र के छात्रों के लिये आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा आईआईटी में अपना परचम लहराने वाले “अवसर ट्रस्ट” के 14 सफल बच्चों को गुरुवार को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर जी द्वारा सम्मानित किया गया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल के अतिरिक्त बिहार विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह, नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. केसी सिन्हा और अवसर ट्रस्ट के संस्थापक और भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. आर.के सिन्हा के अतिरिक्त लगभग चार सौ गणमान्य लोगों ने  सभी 14 सफल बच्चों का सम्मान किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनायें दीं। 

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री राजेन्द्र अर्लेकर के अतिरिक्त बिहार विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह, नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. के. सी. सिन्हा और अवसर ट्रस्ट के संस्थापक और भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. आर.के सिन्हा ने कहा कि अवसर ट्रस्ट की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य था कि हम समाज के वैसे प्रतिभाशाली बच्चों को अवसर प्रदान करें, जो अपने परिवार की गरीबी और संसाधनों के अभाव के कारण आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में पिछड़ जाते हैं। 

अवसर ट्रस्ट समाज से उन प्रतिभाशाली बच्चों का भविष्य गढ़ रहा है, जो संसाधनों के अभाव में समाज की मुख्यधारा से दूर रह जाते थे। बिहार के शीर्ष शिक्षाविद और बी.डी. कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य डॉ. निर्मल कुमार श्रीवास्तव ने सभी सभी सफल छात्र-छात्राओं को उनकी सफलता के लिए बधाई देते हुए आरके सिन्हा द्वारा संचालित “अवसर ट्रस्ट”  के कार्यों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि समाज को आगे विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए आरके सिन्हा इस तरह के प्रयास लगातार करते रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि यदि प्रतिभाओं को उचित मार्ग दिखाया जाय तो उनके लिए कोई भी परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता हासिल करना नामुमकिन नहीं है।  कार्यक्रम को अवसर ट्रस्ट के सी.ई.ओ. अनुरंजन श्रीवास्तव, निदेशक रजनीकांत श्रीवास्तव ने भी संबोधित कर बच्चो को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामना दी।

विद्वता पर किसी जाति या वर्ग का एकाधिकार नहीं होता। हमने आज जिन बच्चों को सम्मानित किया है वह गरीब परिवारों से निकले होनहार हैं। प्रतिभा किसी जाति विशेष की बपौती नहीं होती हैं। हाँ, इनमें एक सामान्य बात जरूर है कि ये सभी बच्चे मेधावी हैं और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर यहाँ पहुँचे हैं। 

गरीब छात्रों के लिए है अवसर

बिहार विधान परिषद् के खचाखच भरे सभागार में आयोजित इस सम्मान समारोह में राज्य के अनेकों वरिष्ठ शिक्षाविद और अभिभावक छात्रों के साथ उपस्थित थे। जेईई मेन और एडवांस प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले जिन 14 छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया है। उनमें सफल छात्रों में से ही एक आदित्य रंजन का देशभर में 128 वाँ रैंक हैं I यह अति पिछड़े वर्ग का बालक पटना जिले के खुशरुपुर का निवासी हैं. जिसके पिता जी अपने कस्बे मे ही एक छोटी सी दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं । 

शुभम कृष्णन बिहार के दरभंगा जिले का मूल निवासी हैं और वह भी आर्थिक रूप से अति पिछड़े परिवार से संबंध रखता हैं। शुभम के पिता जी अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति करने मे असमर्थ हैं, क्योंकि; उनकी शारीरिक दक्षता और मानसिक दक्षता सामान्य नहीं हैं I इसीलिए शुभम की माता जी को घर की दैनिक जरूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाना पड़ता हैं। इन्ही छात्रों में एक छात्र कुनाल शर्मा हैं जिसके पिता जी कपड़े की एक छोटी सी दुकान में अत्यंत अल्प वेतन पर कार्य करते हैं।

इसी तरह समस्तीपुर का आर्यन और वैशाली जिले का शिवम, गिरीडीह के अति गरीब मानसिक रूप से अस्वस्थ पिता का पुत्र अंशु, सब्जी विक्रेता का पुत्र आशीष रंजन, मोकामा (पटना बिहार) के मरांची नाम के छोटे से गांव की साधारण किसान परिवार की बेटी विशाखा है I काजल के पिता जी पटना शहर मे पोस्टर बैनर चिपकाने का कार्य करते हुए अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को किसी तरह पूरा करते हैं उन बच्चों में शामिल है जिन्होंने आर्थिक रूप से गरीब परिवार के होने के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत से अपने  सपने को "अवसर ट्रस्ट" की सहायता से साकार किया। 

छात्रों को मिलती है सारी सुविधा निःशुल्क

अवसर ट्रस्ट इन सभी बच्चों को 2 वर्ष निःशुल्क कोचिंग के अलावा रहने – खाने, पुस्तकों, कपड़ों और चिकित्सा की सारी व्यवस्था भी फ्री देता है और  आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता के बाद उन्हें लैपटॉप और कपड़े तथा उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज का एक वर्ष का शुल्क भी देता है। 




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