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ग्राम पंचायतों में टेंडर से काम कराने के फैसले के विरोध में उतरा मुखिया संघ, नीतीश सरकार को दे दी सीधी चेतावनी, ग्राम व्यवस्था को भंग करने की कोशिश न करें...

ग्राम पंचायतों में टेंडर से काम कराने के फैसले के विरोध में उतरा मुखिया संघ, नीतीश सरकार को दे दी सीधी चेतावनी, ग्राम व्यवस्था को भंग करने की कोशिश न करें...

PATNA : पंचायतों में 15 लाख से कम की लागत की योजनाओं के लिए भी टेंडर कराने का फैसला नीतीश कैबिनेट ने लिया है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से पंचायतों में अब मुखिया और वार्ड सदस्यों की मनमानी पर लगाम लग जाएगी। हालांकि पंचायतों की सरकार ऐसा नहीं मानती है और सरका के इस निर्णय के विरोध में उतर आई है। प्रदेश की मुखिया संघ ने साफ कर दिया है कि उन्हें सरकार का यह फैसला मंजूर नहीं है। 

मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश राय ने बताया कि सरकार अपने इस फैसले खुद को ग्रामीण इलाकों में कमजोर कर रही है। जिसका परिणाम उन्हें चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने नीतीश कैबिनेट के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने पंचायती राज के फैसले को संविधान से मिले अधिकार का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा कि ग्राम सरकार का पावर छिनने का अधिकार देश के किसी सरकार को नहीं है। ग्राम सभा में पारित योजनाओं के लिए टेंडर नहीं होता है। मिट्टी भरने, चापाकल लगाने, नाली सफाई जैसे कार्य के लिए अगर टेंडर का इंतजार करेंगे तो छह-छह महीने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। आज देश में कहीं भी ग्राम सरकार में निविदा प्रक्रिया नहीं है तो नीतीश सरकार को क्या इसकी जरुरत पड़ी यह समझ से पड़े  है। यहां तक कि अपने इस फैसले को लागू करने से पहले किसी जिला परिषद, किसी मुखिया से न तो बात की गई, न ही उन्हे जानकारी दी गई। यह पूरी तरह से त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश है। यहां अफसरों का राज कायम करने की कोशिश की जा रही है।

प्रदेश भर में होगा विरोध

मुखिया संघ ने सीधी चेतावनी देने हुए कहा कि अगर सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो प्रदेश स्तर पर व्यापक हड़ताल किया जाएगा। साथ ही न्यायपालिका का सहारा लिया जाएगा। अगर इसके बाद भी बात नहीं मानी गई तो सभी मुखिया, जिला पर्षद अपना इस्तीफा दें देगे। मुखिया संघ ने इस दौरान उन एमएलसी को भी चेतावनी दी, जो पंचायतों से निर्वाचित होकर सदन पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगो को दरकिनार किया गया तो इसका परिणाम  भुगतना होगा।

मुखिया संघ ने सरकार के उन तर्कों का भी विरोध किया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि ग्रामीण इलाकों में मुखिया और वार्ड सदस्य काम सही तरीके से नहीं होता है। संघ ने नल जल योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि जब तक यह हमलोगों के अंदर संचालित होता था, तब तक सभी लोगों को इसका लाभ मिलता था। अब एक साल से पीएचईडी को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है तो सभी जगह योजना लगभग बंदी की स्थिति में पहुंच चुकी है। अब गांवों में सड़क नाली के लिए यही किया जा रहा है। यह कार्य कराने के लिए बीडीओ से टेंडर कराने का फैसला लिया गया है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

मुखिया संघ ने मांग की है कि नीतीश सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और अपने फैसले को वापस ले लेना चाहिए।

बता दें कि 15 लाख रुपये से कम की योजनाओं का भी टेंडर होगा। पंचायत स्तर पर विकास कार्यों में हो रही धांधली, भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ये फैसला लिया गया है। गड़बड़ी की शिकायतों के बाद अब सरकार ने मुखिया और वार्ड सदस्यों के अधिकारों पर कैंची चला दी है। अब बिना टेंडर पंचायतों में विकास कार्य नहीं किए जाएंगे। अब तक पंचायतों में विकास कार्यों का मुखिया और वार्ड सदस्य अपने तरीके से कराते थे। जिसमें कई बार घटिया सामग्री के इस्तेमाल और कामचलाऊ काम होता था। जिसकी शिकायतें लगातार सरकार तक पहुंच रही थीं। जिसके बाद अब नीतीश कैबिनेट ने ये बड़ा फैसला लेते हुए, चली आ रही मनमानी पर ब्रेक लगा दिया है।

REPORT - ABHIJEET SINGH


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