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के.के पाठक के इतने फैसलों को सीएम नीतीश ने बदला, कभी विधानसभा से लेकर परिषद तक पाठक के नाम पर फंसा था पेंच, पक्ष में खड़े हो गए थे मुख्यमंत्री

के.के पाठक के इतने फैसलों को सीएम नीतीश ने बदला, कभी  विधानसभा से लेकर परिषद तक पाठक के नाम पर फंसा था पेंच, पक्ष में खड़े हो गए थे मुख्यमंत्री

PATNA: के के पाठक की शिक्षा विभाग से छुट्टी कर दी गई है। उन्हें शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद से हटाकर राजस्व एंव भूमि सुधार विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया गया है। यहीं नहीं सीएम नीतीश के द्वारा अब एक एक करके के के पाठक के फैसलों को भी बदला जा रहा है। दरअसल, के.के पाठक के कार्यकाल में बिहार का शिक्षा व्यवस्था तो काफी हद तक सुधरी लेकिन उनके कई फैसलों के कारण जमकर हंगामा भी हुआ। पाठक को शिक्षा विभाग से हटाने की मांग की गई। लेकिन आपको बता दें कि, आज सीएम नीतीश ने जिस के के पाठक का ताबदला शिक्षा विभाग से कर दिया है। एक वक्त था कि वे पाठक के लिए सदन में विपक्ष से लड़ पड़े थे। उन्होंने उस वक्त कहा था कि पाठक एक ईमानदार ऑफिसर हैं और वो जो भी काम कर रहे हैं ठीक कर रहे हैं। वे किसी की नहीं सुनते और अपना काम ईमानदारी से करते हैं। मालूम हो कि उस समय बिहार विधानसभा में स्कूलों के टाइमिंग को लेकर विपक्ष हंगामा कर रहा था।    

सदन में सीएम ने की थी तारीफ

लेकिन सीएम नीतीश ने इस वाक्या के तीन महीने बाद ही के के पाठक की शिक्षा विभाग से ना सिर्फ छुट्टी की है बल्कि उनके कई फैसलों को भी बदल रहे हैं । कड़क IAS के.के पाठक के फैसले को नए शिक्षा अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ पलट रहे हैं। डॉ. एस सिद्धार्थ मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रधान सचिव भी हैं। एस सिद्धार्थ ने अब तक के के पाठ के कई फैसलों को बदल दिया है। पहला फैसला अब स्कूलों में किसी का नाम नहीं कटेगा को एस सिद्धार्थ ने बदल दिया है। दरअसल, शिक्षा विभाग के नए एसीएस डॉ. एस सिद्धार्थ ने 12 जून को के के पाठक के फैसले बिहार के सरकारी स्कूलों में नियमित तौर पर स्कूल नहीं आने वाले छात्रों का नाम काट देने वाले फैसले को बदल दिया। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने आदेश जारी किया और कहा है किसी कारणवश बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं तो उनका नाम नहीं काटा जाए। पहले बच्चों के अभिभावक से संपर्क कर उसके कारण के बारे में पता करें। साथ ही उन बच्चों को स्कूल आने के लिए भी प्रेरित करें। बच्चों का नाम तभी काटा जाएगा, जब उसका एड्रेस बदला जाएगा। अन्य किसी कारण से नामांकन पंजी से नाम हटाने से पहले प्रिंसिपल को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

नए एसीएस बदल रहे पाठक के फैसले

वहीं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने के.के पाठक के आदेश को बदल दिया है। 6 जून को आईएएस के.के पाठक के स्कूल इंस्पेक्शन के पैटर्न को बदलते हुए, अब सरकारी स्कूलों की निगरानी डीडीसी के हाथों में सौंप दी है। इसको लेकर अगले तीन महीने का रोस्टर भी तैयार किया गया है। अधिकारी रोस्टर वार स्कूलों का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण रिपोर्ट का क्रॉस वेरिफिकेशन शिक्षा विभाग के अधिकारी करेंगे। निरीक्षण को लेकर नई व्यवस्था की गई। डीडीसी जिले में तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंप दिए। जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को 3-3 महीने के लिए 10 से 15 स्कूलों का जिम्मा दिया गया। रोस्टर बनाकर स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है। सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों का हर सप्ताह कम से कम एक बार निरीक्षण अनिवार्य किया गया।

कई विवादित फैसलों को बदला

साथ ही शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने सोमवार को पदभार ग्रहण किया। इसके बाद बड़ा आदेश दिया। जिसमें कहा है कि स्कूलों की मॉनिटरिंग जारी रहेगी, लेकिन स्कूलों की टाइमिंग जिला शिक्षा पदाधिकारी तय करेंगे। शिक्षा विभाग तय नहीं कर स्थानीय स्तर पर तय किया जाने का फैसला दिया। साथ ही आईएएस के.के पाठक के फैसले को बदलते हुए नए एसीएस डॉ. एस सिद्धार्थ ने यूनिवर्सिटी के फ्रीज खातों से रोक हटा ली। विश्वविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों के बंद वेतन जल्द ही जारी किए। शिक्षा विभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ के आदेश पर शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव ने सभी कुलपति को पत्र लिखा। जिसमें कहा कि विश्वविद्यालय का खाता संचालन (पीएल खाता) पर लगाए गए रोक को वापस लिया जा रहा है। साथ ही स्थगित वेतन को चालू किया जा रहा है। पेंशन भुगतान किया गया।

राज्यपाल के साथ बैठक में शामिल हुए नए ACS

वहीं 12 जुलाई को कुलाधिपति सह राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर की अध्यक्षता में अहम बैठक हुई थी। जिसमें शिक्षा विभाग के प्रभारी मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ शामिल हुए। कुलाधिपति की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में लंबे समय के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की मौजूदगी दिखी। इसके पहले आईएएस केके पाठक ने बैठक से दूरी बनाए रखी थी। कुलाधिपति की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक से अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने दूरी बनाई थी। वह राजभवन की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। शिक्षा विभाग की ओर से वे प्रतिनिधि भेजते थे। केके पाठक और राजभवन के बीच काफी कड़वाहट चल रही थी। 

पाठक के इन फैसलों पर हुआ था हंगामा

मालूम हो कि के के पाठक के जिन फैसलों से हंगामा हो रहा था उन फैसलों को नए एसीएस ने या को बदल दिया है या उनमें सुधार लाई है।  बता दें कि, के के पाठक के बड़े फैसले जो विवाद में रहे वो हैं- स्कूलों में छुट्टियों का कैडेंलर(जिसमें कई त्योहारों पर रहने वाली छुट्टी रद्द कर दी गई थी), स्कूल टाइमिंग, सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक, 15 दिन स्कूल नहीं आए तो नाम कटेगा, स्कूल का रैंडम इंस्पेक्शन और शिक्षकों की ट्रेनिंग, त्योहार के दौरान भी। इस फैसलों पर शिक्षकों ने जमकर विरोध किया था। 

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