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तेजस्वी ने सहनी के पीठ में भोंका था छुरा, लेकिन फिर हुए साथ आखिर किसका रहा हाथ ,सियासत की गोटी कैसे हुआ फिट..जानिए अंदर की खबर...

तेजस्वी ने सहनी के पीठ में भोंका था छुरा, लेकिन फिर हुए साथ आखिर किसका रहा हाथ ,सियासत की गोटी कैसे हुआ फिट..जानिए अंदर की खबर...

पटना: कहते हैं राजनीति में न कोई स्थायी दुश्मन होता है और न हीं कोई स्थायी दोस्त. इसके ताजा तरीन उदाहरण हैं  मुकेश सहनी. एनडीए से दरकिनार होने के बाद सहनी की नैया डगमगा रही थी, इसी बीच वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले लालू यादव पर ‘पीठ में छुरा घोंपने’ का आरोप लगाने के बाद गठबंधन छोड़ने वाले सहनी को तेजस्वी का साथ मिला तो उनकी नाव को किनारा मिल गया.  लोकसभा चुनाव 2024 में तीन सीट  देने के लिए राजद नेता को धन्यवाद देते हुए सहनी ने अब भाजपा पर छुरा घोंपने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने मेरी छाती में छुरा घोंप दिया. मैंने उन्हें राज्य में सरकार बनाने में मदद की और उन्होंने मुझे कैबिनेट से बाहर कर दिया और मेरे सभी विधायकों को अपने पाले में कर लिया.

तेजस्वी के सहारे किनारे हुई मुकेश की नाव

मुकेश सहनी को राजद का साथ मिल गया है. उनकी पार्टी को तीन सीट लोकसभा चुनाव के लिए तेजस्वी ने दिया है इसने  सियासी सरगर्मी पैदा कर दी है. मुकेश ने विधानसभा चुनाव 2020 से पहले प्रेस कांफ्रेंस के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादवपर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए महागठबंधन से निकलने की घोषणा कर दी थी. अब जब उनकी नाव मजधार में फंसी तो तेजस्वी के सहारे उसे किनारा करने के लिए इंडी गठबंधन में शामिल हो गए. 

तीन सीट वीआईपी के खाते में 

 विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख सहनी का राष्ट्रीय जनता दल  के नेता तेजस्वी यादव ने गठबंधन में स्वागत किया. तेजस्वी ने बिहार में अपने कोटे की 26 सीट में से वीआईपी को तीन लोकसभा सीट की ‘सम्मानजनक’ हिस्सेदारी देने की भी घोषणा की. तेजस्वी यादव ने कहा, ‘राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) सीट को वीआईपी को देने का फैसला किया है. हम मिलकर बिहार की सभी 40 सीट पर महागठबंधन की जीत सुनिश्चित करेंगे.

क्या निषाद वोट पर पड़ेगा असर

सहनी खुद को ‘मल्लाह का बेटा’ बताते हैं और ‘निषाद समाज’ के समर्थक हैं. चुनाव लड़ते हैं तो हार जाते हैं इसके बावजूद निषादों को एकजुट करने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं.  मुकेश सहनी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि निषाद समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के अपने वादे से पीछे हट गई है. उन्होंने कहा, ‘मेरे भाइयों ने मां गंगा के नाम पर पार्टी को दंडित करने की कसम खाई है.’ लेकिन असल मामला ये है कि एनडीए में मुकेश सहनी को सिर्फ एक सीट ऑफर की जा रही थी. राजद की तरफ से तीन सीटों का ऑफर मिलते ही सहनी ने पाला बदल लिया.वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, ‘हमने न केवल लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह गठबंधन किया है, बल्कि विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा है जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बढ़ते अप्रत्याशित व्यवहार को देखते हुए उम्मीद से पहले हो सकता है.’ 

राजद से मुकेश को नहीं मिलेगा इंसाफ-जदयू

जदयू की तरफ से प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि राजद ने जब कांग्रेस को उसका हक और सम्मान नहीं दिया तो मुकेश सहनी को क्या इंसाफ देगी.उन्होंने मुकेश सहनी पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार की जनता को सब याद है. होटल मौर्य में एक प्रेस कांफ्रेंस में मुकेश सहनी ने कहा था कि राजद ने उनकी पीठ में खंजर मारा है और उसी वक्त उन्होंने राजद से नाता भी तोड़ लिया था.अब एक बार फिर वे राजद के साथ गये हैं.अभिषेक झा ने कहा कि जब राजद ने कांग्रेस को उसका हक और सम्मान नहीं दिया तो मुकेश सहनी के साथ क्या इंसाफ करेगी. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां कहीं भी शामिल हो लेकिन नतीजा साफ है कि एनडीए गठबंधन बिहार की 40 की 40 सीटें जीतेगा.

 मजबूत होगी राजद?

अगर मुकेश सहनी को अपनी गलती का एहसास हो गया है और उन्होंने बीजेपी का चरित्र समझ लिया है तो यह बहुत खुशी की बात है. राजनीति में कुछ भी संभव है. बहरहाल मुकेश सहनी के इंडी गठबंधन में शामिल होने के मुजफ्फरपुर समेत कई निषाद बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र के चुनावी परिणाम के प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है जो राजद के पक्ष में हो सकता है.


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