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ईडी-सीबीआई के भय से बिहार में हुआ सत्ता परिवर्तन, जदयू के कई मंत्री और विधायक आ रहे थे दायरे में

ईडी-सीबीआई के भय से बिहार में हुआ सत्ता परिवर्तन, जदयू के कई मंत्री और विधायक आ रहे थे दायरे में

NEW DELHI : बिहार में नीतीश कुमार द्वारा राजद का साथ छोड़कर एनडीए के साथ सरकार बनाने को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। कई मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम पर सवाल उठा चुके विधायक सुधाकर सिंह ने कहा है कि बिहार में जो कुछ भी हुआ है, उसका मुख्य कारण ई़डी सीबीआई जैसी जांच एजेसिंयों का भय है। भाजपा ने जदयू को भय दिखाया था कि अगर वह उनके साथ नहीं आते हैं तो कई मंत्री और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

रामगढ़ विधायक ने बताया कि कुछ माह पहले ईडी और इनकम टैक्स द्वारा छापेमारी की गई थी। नीतीश कुमार की पार्टी के दो तीन वरिष्ठ मंत्री और चार पांच वरिष्ठ अधिकारी और जदयू के कई करीबी बिजनेसमैन बुरी तरह फंस गए थे। ऐसे में जदयू पर दबाव था कि सत्ता परिवर्तन करें। नहीं तो यह सभी जेल जाएंगे। इस भय ने नीतीश कुमार को राजद का साथ छोड़ने के लिए मजबूर किया।

सुधाकर सिंह ने कहा कि ईडी-सीबीआई-आईटी बीजेपी का एक विंग है, जिसे राजनीतिक हथियार के रूप में विपक्ष को डराने धमकान का काम किया जा रहा है। यह ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जिन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है, न ही यह हमलोगों के लिए महत्व नहीं रखता है।

सुधाकर सिंह उन बातों को भी गलत बताया,  जब नीतीश  कुमार मे राजद पर काम करने देने और सारा क्रेडिट अकेले ही लेने का आरोप लगाया। पूर्व मंत्री ने कहा कि जिन कामों की चर्चा कर रहे हैं, वह उन्होंने नहीं किया था। हमने पहले कहा था कि सत्ता में आने के बाद दस लाख नौकरी देंगे। जिसमें चार लाख नौकरी दी जा चुकी थी। तेजस्वी के नेतृत्व में बिहार में चीजें बदल रही थी। ऐसे में ईर्ष्या ही जदयू को परेशान कर रही थी

भाजपा का लक्ष्य बिहार में सरकार बनाना नहीं था। उनका लक्ष्य लोकसभा की 40 सीटों पर जीत हासिल करना  है। जिसके लिए वह कुछ भी करने से परहेज नहीं कर रही  है। भाजपा के लोगों ने नीतीश कुमार के लिए कई बातें कही, लेकिन आज अपनी पगड़ी उनके कदमों पर रख आए हैं।




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