पटना. संसद का शीतकालीन सत्र इस बार दिसंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हो सकता है. इस लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी हो सकती है. संसद का शीतकालीन सत्र इस बार कई अहम विधेयकों के लिए खास हो सकता है. साथ ही देश के कई राज्यों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर भी शीतकालीन सत्र खास चर्चा होने की उम्मीद है. इसमें बिहार से जुड़ा भी एक खास मुद्दा हो सकता है जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक पहल से जुड़ा हो सकता है.
दरअसल, संसद का शीतकालीन सत्र दिसंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हो सकता है और क्रिसमस से पहले इसके समापन की सभावना है। सूत्रों ने सत्र तीन दिसंबर को पांच राज्यों में वोटों की गिनती के कुछ दिनों बाद शुरू हो सकता है. इसमें आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करने वाले तीन प्रमुख विधेयकों पर सत्र के दौरान विचार किए जाने की संभावना है क्योंकि गृह मामलों की स्थायी समिति ने हाल ही में तीन रिपोर्टों को अपनाया है. शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होता है और 25 दिसंबर से पहले समाप्त हो जाता है.
संसद में लंबित एक अन्य प्रमुख विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित है. मानसून सत्र में पेश किए गए इस प्रस्ताव को सरकार ने विपक्ष और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के विरोध के बीच संसद के विशेष सत्र में पारित करने पर जोर नहीं दिया क्योंकि वह सीईसी और ईसी की स्थिति को कैबिनेट सचिव के बराबर लाना चाहती है. वर्तमान में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है.
वहीं इस बार के सत्र में बिहार में आरक्षण का कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के नीतीश सरकार के प्रस्ताव को लेकर राजद-जदयू के सांसद इस मुद्दे को संसद में उठा सकते हैं. इसके तहत केंद्र सरकार पर बिहार की तर्ज पर जातीय गणना को देश भर में कराने और ओबीसी के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने का मुद्दा अहम हो सकता है.